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चाँद पर हम होंगे या तिरंगे पर चाँद होगा

B.J.P. रहेगी तो एक दिन चांद पर तिरंगा होगा.
पर कहीं (CONGRESS) आयेगी तो झंडे पर चांद होगा बस यह हमेशा याद रखना !
जय हिंद
 *देशहित में जारी*
   *बीबीसी के विख्यात पत्रकार मार्क टुली नें ब्यान दिया है, कि "मोदी इस देश के उस बडे बरगद को उखाड़ कर गिरा रहे हैं, जिसमें वर्षों से विषैले कीड़े लगे हुए हैं ! इसके लिए उन्हे लगातार महासंघर्ष करना होगा !"*
   *मोदी नें देश में छुपे सारे जहरीले नागों के बिल में एक साथ हाथ डाल दिया है, इसलिये ये नाग फुफकार रहे हैं, कांग्रेस, वामपंथ, जेहादी, नक्सली, मिशनरी सहित हर तरह के नागों को कांग्रेस नें अपनें पास छुपाए रखा था, भारत भूमि को बर्बाद करने के लिए, वो तो अच्छा हुआ कि मोदी सत्ता में आ गये और इन जहरीले नागों से देश को परिचित और सतर्क कर इन्हें बेनकाब कर दिया, वरना ये जहरीले नाग आनें वाले समय में इस भारत भूमि और हिन्दूओं को निगल जाते और हमारी आनें वाली पीढ़ियों के पास सिवाय रोने, बिलखने के इलावा कुछ नही बचता।*
   *मोदी को बहुत संघर्ष करना होगा और मोदी संघर्ष कर भी लेगा, परन्तु इस देश वासियों को खासकर हिन्दुओं को मोदी के साथ डट कर खड़ा रहना होगा*,
   *क्योंकि मोदी नें ये जंग अपनें लिये नहीं, बल्कि यह  हमारे देशवासी बच्चों, आनें वाली पीढियों और भारत के उज्जवल भविष्य के लिए जंग छेड़ी हुई है।*
    कृपया जनहित में यह आगे भेज कर अन्य देशवासियों को भी जगानें का काम करें !!

कम से कम पांच लोगों को भेजे
देश को सच्चाई बताए
दुर्गेश सिंह
🙏🏻🌹🌹🙏🏻

शादी में डिएम कि गुण्डागर्दी, पावर का गलत इस्तेमाल।

 कोरोना आपदा का समय है  जिन्होंने शादी भी करनी है कोरोना गाइडलाइन का ख्याल रखते हुए। अगरतला के एक मैरि‍ज हाल में शादी की अच्छी-भली पार्टी चल रही थी. इसी बीच पहुंच गए डीएम शैलेश यादव, और गुस्से में भाषा भी मर्यादा की सीमा को पार कर गए। गाली ग्लोज मार पीट करने लगे, पंडित को जोर से चांटा मारा। कानून के रखवाले कानून की धजीयां उडा दी।

अगर डिएम साहब कानूनी कार्रवाई करते, जेल में डालते तो समझा जा सकता था। परिवार से गलती हुई है कोरोना गाईडलाइन का पालन करना चाहिए था नहीं किया। विधि संवत कार्यवाही हुई।  लेकिन इस तरह की गुण्डागर्दी तागत का गलत इस्तेमाल दिखाता है।



सोशल मीडिया पर तेजी से वीडियो के वायरल होने के बाद लोगों ने जिलाधिकारी के रवैये के खिलाफ सवाल उठाने शुरू कर दिए। यूजर्स ने इस वीडियो पर कमेंट करते हुए जिलाधिकारी के रवैये की निंदा की और कहा कि प्रशासन को सिर्फ आम लोग ही दिखते हैं कार्रवाई के लिए, नेता नहीं। इधर मंगलवार को जिलाधिकारी शैलेश यादव ने शादी रुकवाने के लिए माफी मांग ली है और कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना नहीं था। वहीं मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव ने मुख्य सचिव मनोज कुमार से घटना को लेकर रिपोर्ट तलब करने को कहा है।


मौत के मंजर के साथ खिलवाड़ करता सरकारी तंत्र।

इतनी बड़ी महामारी में ये "राजीव गांधी फाउंडेशन" कहां गायब है क्या यह सिर्फ अपनी सरकार से और चीन से चंदा लेने के लिए बनाया गया था किसी ज्ञानचंद को जानकारी हो तो ज्ञान वर्धन करें।

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केंद्र सरकार ने 5 जनवरी को ही 162 ऑक्सीजन प्लांट (पीएसए) लगाने के लिए 32 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को पीएम केयर फंड से 201.58 करोड़ रुपए का आवंटन कर दिया था उसके बावजूद राज्य सरकारों ने ऑक्सीजन प्लांट लगाना जरूरी नहीं समझा। केंद्र सरकार जनवरी से ही राज्यों को कोरोना की दूसरी वेव के प्रति चेतावनी दे रही है, लेकिन मोदी द्वेष (कहीं मोदी और लोकप्रिय न हो जाए) के चलते राज्य सरकारों ने क्या किया ? कुछ नहीं!
आप पूछते है केंद्र सरकार क्या कर रही है ? केंद्र सरकार तो हर संभव प्रयास कर रही है पिछले साल से कोरोना महामारी को रोकने के लिए। लेकिन संविधान में राज्य सरकारों को भी जनकल्याण का दायित्व सौंपा गया है, संविधान के इसी प्रावधान के अनुसार केंद्र सरकार राज्यों के सहयोग के बिना जनकल्याण का कोई काम नही कर सकती है।
जब से मोदी सरकार बनी सारे विपक्ष कुशाशित राज्य मोदी द्वेष के चलते प्रदेश की जनता का अहित कर रहे है। राहुल गांधी प्रियंका गांधी समेत सारी कांग्रेस और अर्बन नक्सलियों का गैंग इस आपदा में अवसर तलाश रहे है और सोशल मीडिया के जरिए मोदी/भाजपा सरकार के विरुद्ध झूठ और भ्रम की स्थिति फैला रहे है।
बंगाल की मुख्यमंत्री तो कोविड मीटिंग में शामिल ही नही होती है, बंगाल में किसानों को केंद्र सरकार की योजना का लाभ नहीं दिया जाता है, बंगाल में नमामि गंगे के तहत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए जमीन तक नही दी जाती है, बंगाल की गरीब जनता को आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं दिया जाता। ये सब कुछ सिर्फ और सिर्फ मोदी द्वेष के चलते एक राज्य सरकार द्वारा अपने प्रदेश की जनता के साथ किया गया अन्याय है।
योजनाओं में सारा पैसा केंद्र सरकार दे, कोरोना से जनता की सुरक्षा केंद्र सरकार करे.. तो राज्य सरकारें क्यों बनी है फिर ?
दिल्ली के मालिक के झूठे और खोखले दावों के विज्ञापन अब तो यत्र तत्र सर्वत्र है। इतना पैसा विज्ञापन पर खर्च किया है अगर इसका आधा दिल्ली में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने पर खर्च किया होता तो आज ऑक्सीजन की कमी से लोगों को मरना न पड़ता।
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस निर्लज्ज धूर्त व्यक्ति को फटकार लगाई है और पूछा कि जब केंद्र सरकार ने 8 ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए दिल्ली सरकार को पहले ही पैसा दे दिया था तो अब तक वो प्लांट लगे क्यों नहीं ? जवाब देते नहीं बना। और इसको चाहिए पूर्ण राज्य का दर्जा।
सारा ठीकरा केंद्र पर फोड़कर राज्य सरकारें अपने दायित्व से पतली गली पकड़कर बचने का प्रयास कर रही है। जबकि केंद्र सरकार लगातार देश को इस परिस्थिति से निकालने का प्रयास कर रही है।


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रिपोर्टिंग करिए ठीक हुए मरीजों का इंटरव्यू करिए, ऑक्सिजन सिलिंडर कहां मिल रहा है, प्लाज्मा डोनर्स का डेटा बेस बनाइये, किस हॉस्पिटल में बेड खाली है, एम्बुलेंस सर्विस का डिटेल दे। लेकिन आपको तो सनसनी चाहिए।

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कोरोना को नेगेटिव करने के लिए .. अपने मन को पॉजिटिव रखें।। जय श्रीराम

दुर्गेश सिंह

मेरे विचारों की दुनिया में आप सभी का स्वागत


दिल्ली वालों जरा सोचो..!आंदोलनकारियों के लिए बॉर्डर पर लाइट, पानी, खाना, AC , Wifi सब व्यवस्था केजरीवाल कर सकते हैं,

लेकिन दिल्ली के हॉस्पिटल और दिल्ली वालों के लिए ऑक्सीजन देना मोदी का काम है : ?

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इंसान का मौत होती रही। शासक प्रशासन सोती रही।।

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पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हत्या होती रही शासन प्रशासन के सानीद्य में अपराधी फूलते फलते रहे। कोरोना महामारी से मौत होता रहा, शासन प्रशासन सोता रहा। अंतर क्या है आखीर इंसान ही तो मरता रहा। जब जनता का जान की किमत नहीं तो कैसे माने लोकतंत्र है?

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नेता बीमार होता है तो पुरा अस्पताल सेवा में लग जाता है। जनता बीमार पड़े तो, अस्पताल में खाली बेड रहते हुवे भी जनता को बेड नहीं मिल पाता। अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर जान चला जाता है। जिम्मेदार कौर? जिम्मेवारी तय होनी चाहिए।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्कार


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जिस झोला छाप डाक्टर पर कार्रवाई होती है, आज वही ग्रामीण इलाकों में सर्दी, खाँसी, बुखार का इलाज कर रहे है। ऐसे सभी डाक्टरों को मेरा प्रणाम।

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बिना कहे जो सब कुछ कह जाते हैं बिना कसूर के सब कुछ सह जाते हैं दूर रह कर भी अपना फर्ज निभाते हैं वही रिश्ते सच में अपने कहलाते हैं दुर्गेश सिंह