दिल्ली वालों जरा सोचो..!आंदोलनकारियों के लिए बॉर्डर पर लाइट, पानी, खाना, AC , Wifi सब व्यवस्था केजरीवाल कर सकते हैं,
लेकिन दिल्ली के हॉस्पिटल और दिल्ली वालों के लिए ऑक्सीजन देना मोदी का काम है : ?
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इंसान का मौत होती रही।
शासक प्रशासन सोती रही।।
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पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हत्या होती रही शासन प्रशासन के सानीद्य में अपराधी फूलते फलते रहे।
कोरोना महामारी से मौत होता रहा,
शासन प्रशासन सोता रहा।
अंतर क्या है आखीर इंसान ही तो मरता रहा।
जब जनता का जान की किमत नहीं तो कैसे माने लोकतंत्र है?
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नेता बीमार होता है तो पुरा अस्पताल सेवा में लग जाता है।
जनता बीमार पड़े तो, अस्पताल में खाली बेड रहते हुवे भी जनता को बेड नहीं मिल पाता।
अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर जान चला जाता है।
जिम्मेदार कौर? जिम्मेवारी तय होनी चाहिए।
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्कार
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जिस झोला छाप डाक्टर पर कार्रवाई होती है, आज वही ग्रामीण इलाकों में सर्दी, खाँसी, बुखार का इलाज कर रहे है। ऐसे सभी डाक्टरों को मेरा प्रणाम।
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बिना कहे जो सब कुछ कह जाते हैं
बिना कसूर के सब कुछ सह जाते हैं
दूर रह कर भी अपना फर्ज निभाते हैं
वही रिश्ते सच में अपने कहलाते हैं
दुर्गेश सिंह