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मद्रास हाई कोर्ट का फैसला, हिंदुओ अपनी आंख खोलो।

सिर्फ 15 दिन पहले भारत में एक ऐसी घटना हुई जो पता नहीं क्यों मीडिया की सुर्खी नहीं बनी जबकि वह घटना भारत भारत में हिंदुओं की स्थिति पर और लाचारी पर थी 

दरअसल मद्रास उच्च न्यायालय में पेरमंबलूर जिले के कड़तुर  गांव का मामला पहुंचा था

 इस गांव में 100 साल पहले से ही हिंदू रथ यात्रा निकालते थे इस गांव में चार प्रमुख मंदिर थे और उन मंदिरों की रथ यात्रा सैकड़ों सालों से निकलती थी और दक्षिण भारत के मंदिरों में हर मंदिर का प्रमुख मंदिर का रथ यात्रा निकलता है

 2011 तक ये रथ यात्रा निर्विघ्न रुप से निकलती रही लेकिन 2012 में जमात-ए-इस्लामी तमिलनाडु ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया ..उन्होंने दो बार रथ यात्रा पर हमले किए 

मामला सेशन कोर्ट में गया ...मुस्लिम पक्ष यानी जमात का यह कहना था कि चूंकि गांव में मुस्लिम आबादी अधिक है और इस्लामिक मान्यता में मूर्ति पूजा शिर्क यानी पाप है और क्योंकि मुसलमानों के सामने से देवी-देवताओं के रथ गुजरते हैं तो उनकी मूर्तियों को देखकर मुस्लिम को शिर्क यानी पाप लगता है इसलिए ऐसी रथ यात्रा और अन्य हिंदू उत्सव पर मुस्लिम इलाके में रोक लगाई जाए 

सोचिए यह दलील घोर असहिष्णुता के साथ-साथ भारत में मुस्लिमों के दुस्साहस की एक मिसाल है और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पेरंबलूर सेशन कोर्ट ने जमात की इस दलील पर यकीन करते हुए भारत के संविधान और भारत की धर्मनिरपेक्षता का खुलेआम बलात्कार करते हुए रथ यात्रा पर रोक लगा दिया

 उसके बाद हिंदू पक्ष मद्रास उच्च न्यायालय गया मद्रास उच्च न्यायालय में जस्टिस कृपाकरन और जस्टिस वेलमुरूगन की पीठ ने विरोधी पक्ष यानी जमात से पूछा माना कि समूह सांप्रदायिक हो सकते हैं व्यक्ति सांप्रदायिक हो सकता है परंतु क्या सड़कें भी सांप्रदायिक हो सकती हैं ? क्या भारत में संविधान का राज नहीं है? मद्रास उच्च न्यायालय की पीठ ने जमात को याद दिलाया कि यदि उसका यह तर्क मान लिया जाए तो फिर भारत के हिंदू बहुल में इलाकों में ना मुस्लिम आयोजन हो सकता है ना जुलूस की अनुमति दी नहीं कोई मस्जिद बन सकती है या मस्जिदों से लाउडस्पीकर पर अजान हो सकता है 

लेकिन मद्रास उच्च न्यायालय की एक टिप्पणी बहुत महत्वपूर्ण है मद्रास उच्च न्यायालय ने यह कहा कि यह अत्यंत दुख का विषय है कि हिंदुओं को भारत में बहुसंख्यक होते हुए भी अपनी पूजा जैसे मूल अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालय की शरण में जाना पड़ रहा है

और मद्रास उच्च न्यायालय ने हिंदू पक्ष को गांव में बदस्तूर रथयात्रा निकालने का आदेश दिया और तमिलनाडु सरकार से कहा कि वह पूरे तमिलनाडु में इस बात की निगरानी करें कि हिंदुओं की पूजा रथ यात्रा पर किसी तरह का विघ्न न  आने पाए

 दरअसल तमिलनाडु में जमाते इस्लामी हिंद और दूसरी तमाम मुस्लिम संस्थाओं ने इस्लामीकरण की शुरुआत 90 के दशक से ही शुरु कर दिया और इसमें डीएमके ने उसकी पूरी मदद किया 

वोट बैंक के लिए तमिलनाडु का सत्तापक्ष हमेशा चुप रहा 

जमात का दुस्साहस देखिए कि 2016 में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली शहर में मूर्ति पूजा और बहुत ईश्वरवाद  के खिलाफ तमिलनाडु तौहीद जमात ने एक बहुत बड़ी रैली निकाला इस रैली में ऐसे भाषण दिए गए जो भाषण तालिबान या फिर IS  के आतंकवादी दिया करते हैं 

इस रैली में वक्ताओं ने मंच से भारत में मूर्ति पूजा खत्म करने का शपथ लिया और भारत के हर एक मूर्ति को तोड़ने की बात कही थी इस रैली में मुस्लिम नेता अब्दुल रहीम ने ऐलान किया था कि मूर्ति पूजा का विरोध इस्लाम का मूल चरित्र है और हमारे पैगंबर ने सबसे पहले यह काम किया था जब उन्होंने मक्का और मदीना जीता था तब उन्होंने वहां रखी सभी बुतों को अपने हाथों से नष्ट किया था।

 इस रैली में कुछ मुस्लिम वकीलों ने यह भाषण दिया कि मूर्ति पूजा का विरोध और मूर्तियों को नष्ट करना इस्लाम का मूल चरित्र है और यदि संविधान इसे रोकता है तब संविधान उनकी धार्मिक आजादी में खलल दे रहा है 

इस रैली के बाद मूर्तियों के खिलाफ पूरे तमिलनाडु के कई शहरों में बेहद भड़काऊ पोस्टर और बैनर लगाए गए 

हिंदू संगठन हिंदू मक्कल काटची  इस कट्टरपंथी संगठन की तमाम रैलियों को रोकने की मांग तमिलनाडु सरकार से किया लेकिन तमिलनाडु सरकार ने इस पर कोई रोक नहीं लगाई 

तमिलनाडु में हिंदुओं की हालत कितनी खराब है उसका उदाहरण कुछ साल पहले तमिलनाडु के पेरियाकुलम कस्बे के पास बोम्बीनायिकन पट्टी गांव में एक दलित मृतक की शव यात्रा को मुस्लिम आबादी से गुजरने से रोक दिया गया था और जमकर हिंसा हुई थी दंगे भड़के थे कई लोग मारे गए थे लेकिन मीडिया में यह खबर नहीं आई 

इसी तरह तेनकासी  के सकंबलम गांव में मुस्लिम पक्ष की आपत्ति के बाद पुलिस ने हिंदू पक्ष को सुने बिना निर्माणाधीन मंदिर को ढहा  दिया था

आने वाले वक्त में तमिलनाडु में वही होगा जो आज बंगाल और केरल तथा जम्मू कश्मीर में हुआ और अफसोस डीएमके फिर सत्ता पर आ गई...
दुर्गेश सिंह।