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इजराइल और फ्रांस।

27 जून 1976 की घटना है। इजराइल के व्यस्ततम शहर तेल अवीव से एक फ्रांसीसी यात्री विमान लगभग 248 लोगों को लेकर फ्रांस की राजधानी पेरिस जा रहा था।

बीच में यूनान की राजधानी एथेंस में कुछ देर रुकने के बाद विमान ने ज्योहीं आगे की यात्रा शुरू की, त्योंही चार यात्री उठे, जिनमें दो फलीस्तीनी व दो जर्मन थे। उनमें एक जो महिला थी, उसने अपने हाथों में छुपाए ग्रेनेड को दिखाते हुए चेतावनी दी कि यदि किसी ने चुचप्पड़ किया तो पूरे विमान को उड़ा देगी!

विमान को इन चारों ने हाईजैक कर लिया था। धमकी के बल पर ये सभी विमान को मुड़वा कर अफ्रीकी देश लीबिया के शहर बेनगाजी ले गये, सात घण्टे वहाँ रुके। वहाँ उनके साथ कुछ और अपहरणकर्ता जुड़ गये, जिससे इनकी कुल संख्या सात हो गयी और बेनगाजी से ये सभी विमान को लेकर पूर्वी अफ्रीकी देश युगांडा के एयरपोर्ट एन्तेबे लेकर पहुँच गये।

इस समय युगांडा पर तानाशाह ईदी अमीन का शासन था। ईदी अमीन ने अपहरणकर्ताओं के साथ पूरा सहयोग किया। एन्तेबे हवाई अड्डे की एक पुरानी इमारत में इन सभी विमान यात्रियों को बंधक बना कर रखा गया। इनमें जो कुल 94 यहूदी यात्री थे तथा फ्रांसीसी विमान चालक दल के 12 सदस्य यानी 106 लोगों को छोड़कर बाकी सभी यात्रियों को दो दिनों के भीतर रिहा कर दिया गया।

अपहरणकर्ताओं ने इजराइल से मांग की कि उसकी जेल में जो 40 फलीस्तीनी तथा चार अन्य देशों में 13 अन्य फलीस्तीनी कैद हैं, उन सबको रिहा किया जाए, अन्यथा वह सभी 106 बंधकों को मार देंगे!

इजराइल में आपातकालीन बैठक बुलायी गयी। तब प्रधानमंत्री थे यितजिक राबिन। इजराइल से युगांडा की दूरी तकरीबन 4000 किलोमीटर है। ऐसे में वहाँ जाकर अपने लोगों को छुड़ाकर लाने जैसा दुस्साहस दुनिया में शायद ही कोई देश कर सकता था। तब जबकि फ्रांस के यात्री विमान सहित फ्रांसीसी विमान चालक दल के 12 सदस्य भी थे, पर फ्रांस को भी कुछ समझ न आ रहा था!

तीन रास्ते थे। सड़क मार्ग से केन्या होते हुए घुसा जाए, या समुद्री मार्ग से जाए अथवा हवाई मार्ग से ऑपरेशन को अंजाम दिया जाए। तय हुआ कि हवाई मार्ग से "ऑपरेशन थंडरबोल्ट" को अंजाम दिया जाएगा। 

इसके लिए इजराइल के सबसे बेहतरीन 100 कमांडोज को चुना गया। ब्रिगेडियर जनरल डैम शॉमरॉन को मिशन का प्रमुख तथा लेफ्टिनेंट कर्नल योनातन नेतन्याहू (वर्तमान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बड़े भाई) को ऑपरेशन का इंचार्ज बनाया गया।

इजराइली खुफिया एजेंसी 'मोसाद' को काम पर लगा दिया गया। मोसाद के एक एजेंट ने युगांडा के पड़ोसी देश केन्या से विमान किराए पर लेकर एन्तेबे हवाई अड्डे की कई तस्वीरें खींच अच्छे से जानकारी जुटाई। जानकारी मिली कि एन्तेबे हवाई अड्डे के जिस इमारत में बंधकों को रखा गया है, उसका निर्माण एक इजराइली कंपनी ने ही किया था!

फिर क्या था! उक्त कंपनी से पूरी इमारत के नक्शे को लिया गया। वैसा ही ढाँचा तैयार किया गया। सभी कमांडोज को रिहर्सल करायी गयी कि युगांडा के सैनिकों व अपहरणकर्ताओं से कैसे निबटना है!

इस दरमियान इजराइल सरकार अपने स्तर से ईदी अमीन से सम्पर्क कर रही थी। उसे यह भ्रम होने दिया जा रहा था कि इजराइल सरकार अपहरणकर्ताओं से बंधकों की रिहाई के लिए बातचीत हेतु तैयार है। ऐसा इसलिए ताकि इजराइल को उपर्युक्त ऑपरेशन के लिए आवश्यक समय मिल सके।

इस बीच युगांडा का आश्वस्त तानाशाह ईदी अमीन अफ्रीकी एकता संगठन के शिखर सम्मेलन में भाग लेने मॉरिशस की राजधानी पोर्ट लुई रवाना हो गया था। अतः इजराइल को समुचित समय मिल गया। यानी ईश्वर भी इजराइल की मदद कर रहे थे।

3 जुलाई को शाम में इजराइल के साइनाइ एयर बेस से चार हरक्यूलिस विमान महज 30 मीटर की ऊँचाई पर उड़ते हुए लाल सागर को पार कर गये। ऐसा इसलिए ताकि मिस्र, सऊदी अरब व सूडान के राडार उन्हें पकड़ न सके, अन्यथा इजराइल के ये दुश्मन तुरन्त अपहरणकर्ताओं को आगाह कर देते!

अब 4000 किलोमीटर जाकर वापस 4000 किलोमीटर लौटना भी था, अतः बीच आकाश में इन चारों विमानों में ईंधन भी भरा गया ताकि रास्ते में ईंधन की दिक्कत न हो। रास्ते में ही इजराइली कमांडोज ने युगांडा के सैनिकों की वर्दी पहने ली थी। एक हरक्यूलिस विमान को खाली ले जाया गया था ताकि वापसी में इसमें यात्रियों को लाया जा सके।

सात घण्टे की लगातार उड़ान के बाद ये विमान युगांडा के एन्तेबे हवाई अड्डे पर रात एक बजे चुपके से पहुँचे। अब तारीख थी 4 जुलाई 1976 यानी यात्रियों को बंधक बने लगभग एक सप्ताह होने को था। 

इजराइली कमांडोज अपने साथ एक काली मर्सेडीज़ भी लेकर गये थे क्योंकि ईदी अमीन काली मर्सेडीज़ में ही चलता था। ऐसा इसलिए ताकि युगांडा के सैनिकों को लगे कि ईदी अमीन मॉरिशस से लौट कर बंधकों को देखने आया है।

पर यहीं एक गड़बड़ हो गयी। दरअसल कुछ दिनों से ईदी अमीन काली की बजाय सफेद मर्सेडीज़ में चलने लगा था। अतः युगांडा के सैनिकों ने काली मर्सेडीज़ देखते ही इन लोगों पर राइफल्स तान दी। पर युगांडा के थकेले सैनिक दुनिया के सबसे बेहतरीन जाबांजों के सामने क्या टिकते। पलक झपकते इजराइली कमांडोज ने युगांडा के इन सैनिकों को अपनी साइलेंसर लगे हथियारों से वहीं ढेर कर दिया!

उसके बाद अपने साथ लाये दो लैंड रोवर गाड़ियों में भरकर ये कमांडोज तेजी से उस इमारत की तरफ गये, जहाँ बंधकों को रखा गया था। वहाँ पहुँच कर इन कमांडोज ने अंग्रेजी व हिब्रू भाषा में अपना परिचय बंधकों को देकर उन सभी को सुरक्षा वास्ते फर्श के सहारे लिटा दिया तथा उनसे ही पूछ कर उस मुख्य हॉल की तरफ बढ़े, जिधर अपहरणकर्ता निश्चिंत होकर पड़े थे।

इन अपहरणकर्ताओं ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनकी मौत कुछ इस तरह उनके सामने आकर खड़ी हो जाएगी। देखते ही देखते इजराइली कमांडोज ने सातों अपहरणकर्ताओं को मौत की नींद सुला दिया। पर अपहरणकर्ताओं की तरफ से हुयी गोलीबारी में तीन बंधकों की भी मौत हो गयी। 

तब तक अलर्ट हो चुके युगांडा के सैनिकों ने एन्तेबे एयरपोर्ट को घेरना शुरू किया। इसी दरमियान इजराइली कमांडोज सभी यहूदी यात्रियों व फ्रांसीसी चालक दल के सदस्यों यानी कुल 102 लोगों को लेकर चौथे विमान में बिठाने लगे। 

उसी दौरान इजराइली ऑपरेशन के इंचार्ज लेफ्टिनेंट कर्नल योनातन नेतन्याहू को सीने में गोली लग गयी। जवाबी कार्रवाई में इजराइली कमांडोज ने युगांडा के कमसेकम 45 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। साथ ही एन्तेबे हवाई अड्डे पर खड़े 11 मिग विमानों समेत युगांडा के कमसेकम 30 विमानों को नष्ट कर दिया ताकि ये उनका पीछा न कर सकें!

महज 58 मिनट में इस लगभग असंभव ऑपरेशन को अंजाम देकर इजराइल के ये बेहतरीन कमांडोज वापस लौट गये। वापसी में घायल हो चुके लेफ्टिनेंट कर्नल योनातन नेतन्याहू ने दम तोड़ दिया, जबकि पाँच कमांडोज ज़ख्मी हुए थे।

एक यहूदी बंधक डोरा ब्लॉक को वापस नहीं लाया जा सका क्योंकि उसे युगांडा की राजधानी कम्पाला के मुलागो अस्पताल में अचानक तबियत बिगड़ने पर भर्ती कराया गया था। जब युगांडा का तानाशाह ईदी अमीन वापस आया तो उसने गुस्से में भरकर डोरा ब्लॉक की अस्पताल के बिस्तर से ही खींच कर हत्या करवा दी!

इस प्रकार अपने मात्र एक सैनिक (वर्तमान प्रधानमंत्री के बड़े भाई) व चार बंधकों को खोकर इजराइल ने वह अंसभव-सा कारनामा कर दिखाया था, जो आज तक के मानव इतिहास में किसी की औकात नहीं है करने की। 

जब "ऑपरेशन थंडरबोल्ट" को अंजाम देकर ये जाबांज़ कमांडोज वापस अपने देश इजराइल पहुँचे, तो अपार जनसमूह उनके स्वागत के लिए पलकें पावड़े बिछाए इंतजार कर रहा था। जाबांजों ने हिम्मत दिखायी, तो ऊपरवाले ने भी कदम-कदम पर इनका साथ दिया!

देश के प्रधानमंत्री यितजिक राबिन ने जब विपक्ष के नेता मेनाखिम बेगिन को यह खुशखबरी देते हुए सिंगल माल्ट शराब पेश की, तो विपक्ष के नेता ने कहा कि वह चूँकि शराब नहीं पीते, इसलिए चाय पीकर इस खुशखबरी को सेलिब्रेट करेंगे। तब प्रधानमंत्री ने विपक्ष के नेता को कहा कि अरे समझ लीजिये कि आप रंगीन चाय पी रहे, तो मारे खुशी के विपक्ष के नेता ने कहा कि लाइये, आज के इस ऐतिहासिक दिन तो मैं कुछ भी पी सकता हूँ!
- दुर्गेश सिंह। 🇮🇱🇮🇳